सत्य का जिसके हृदय में प्यार हो,एक पथ, बलि के लिए तैयार हो । फूँक दे सोचे बिना संसार को,तोड़ दे मँझधार जा पतवार को । कुछ नई पैदा रगों में जाँ करे,कुछ अजब पैदा नया तूफाँ करे। हाँ, नईं दुनिया गढ़े अपने लिए,रैन-दिन जागे मधुर सपने लिए । बे-सरो-सामाँ रहे, कुछ गम नहीं,कुछ नहीं […]
हिमालय – रामधारी सिंह “दिनकर” | Himalaya – Ramdhari Singh “Dinkar”
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरूष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल!युग-युग अजेय, निर्बन्ध, मुक्त,युग-युग गर्वोन्नत, नित महान,निस्सीम व्योम में तान रहायुग से किस महिमा का वितान?कैसी अखंड यह चिर-समाधि?यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान?तू महाशून्य में खोज रहाकिस जटिल समस्या का निदान?उलझन का कैसा विषम जाल?मेरे नगपति! […]
मंगल-आह्वान – रामधारी सिंह “दिनकर” |Mangal Ahwahan – Ramdhari Singh Dinkar
भावों के आवेग प्रबलमचा रहे उर में हलचल। कहते, उर के बाँध तोड़स्वर-स्त्रोत्तों में बह-बह अनजान,तृण, तरु, लता, अनिल, जल-थल कोछा लेंगे हम बनकर गान। पर, हूँ विवश, गान से कैसेजग को हाय ! जगाऊँ मैं,इस तमिस्त्र युग-बीच ज्योति कीकौन रागिनी गाऊँ मैं? बाट जोहता हूँ लाचारआओ स्वरसम्राट ! उदार पल भर को मेरे प्राणों मेंओ विराट् […]
Parichay – Ramdhari Singh “Dinkar” | परिचय – रामधारी सिंह “दिनकर”
परिचय कविता Parichay Poem सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैंस्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैंबँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैंनहीं तो व्योम का विस्तार हूँ मैं salil kant hoon, ya pavaar hoon main aatm chhaaya, aatm aadhaar main hoon bandha hoon, svapn hoon, laghu vrt hoon main nahin to vyom ka vistaar […]
Shakti Aur Kshama – शक्ति और क्षमा | Ramdhari Singh “Dinkar”
Shakti Aur Kshama Poem Explanation In “shakti aur kshama” poem, Ramdhari Singh Dinkar shows is interpreting about power and forgiveness. According to him, Pandavas had demanded their rights, until they got their dilemma, deceit. He resorted to forgiveness every time, but he should be called cowardly every time. But when he resorted to power, then […]