गोपाल सिंह नेपाली - Gopal Singh Nepali
दीपक जलता रहा रात भर – गोपाल सिंह नेपाली | Deepak Jalta Raha Raat Bhar – Gopal Singh Nepali
एकदुख की घनी बनी अँधियारीसुख के टिमटिम दूर सितारेउठती रही पीर की बदलीमन के पंछी उड़-उड़ हारेबची रही प्रिय आँखों सेमेरी कुटिया एक किनारेमिलता रहा स्नेह-रस थोड़ादीपक जलता रहा रात भर
दो
दुनिया देखी भी...
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गोपाल सिंह नेपाली - Gopal Singh Nepali
दीपक जलता रहा रात भर – गोपाल सिंह नेपाली | Deepak Jalta Raha Raat Bhar – Gopal Singh Nepali
एकदुख की घनी बनी अँधियारीसुख के टिमटिम दूर सितारेउठती रही पीर की बदलीमन के पंछी उड़-उड़ हारेबची रही प्रिय आँखों सेमेरी कुटिया एक किनारेमिलता रहा स्नेह-रस थोड़ादीपक जलता रहा रात भर
दो
दुनिया देखी भी अनदेखीनगर न जाना, डगर न...
गोपाल सिंह नेपाली - Gopal Singh Nepali
हिमालय से भारत का नाता – गोपाल सिंह नेपाली | Himalay Se Bharat Ka Naata – Gopal Singh Nepali
इतनी ऊँची इसकी चोटी कि सकल धरती का ताज यहीपर्वत से भरी धरा पर केवल पर्वतराज यहीअंबर में सिर, पाताल चरणमन इसका गंगा का बचपनतन वरण वरण मुख निरावरणइसकी छाया में जो भी है, वह मस्तक नहीं झुकाता हैगिरिराज हिमालय...
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी - Dwarika Prasad Maheshwari
उठो धरा के अमर सपूतो – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी | Utho Dhara Ke Amar Saputon – Dwarika Prasad Maheshwari
उठो धरा के अमर सपूतोपुनः नया निर्माण करो।जन जन के जीवन में फिर सेनई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।
नया प्रात है, नई बात है,नई किरण है, ज्योति नई।नई उमंगें, नई तरंगे,नई आस है, साँस नई।युग युग के मुरझे सुमनों...
सुभद्राकुमारी चौहान | Subhadrakumari Chauhan
कोयल – सुभद्रा कुमारी चौहान | Koyal – Subhadra Kumari Chauhan
देखो कोयल काली हैपर मीठी है इसकी बोलीइसने ही तो कूक–कूक करआमों में मिसरी घोली
कोयल कोयल सच बतलाओक्या संदेशा लाई होबहुत दिनों के बाद आज फिरइस डाली पर आई हो
क्या गाती हो किसे बुलातीबतला दो कोयल रानीप्यासी धरती...
प्रदीप - Pradeep
खिलौना माटी का – प्रदीप | Khilona Maati Ka – Pradeep
तूने खूब रचा भगवान्खिलौना माटी काइसे कोई ना सका पहचानखिलौना माटी का
वाह रे तेरा इंसान विधाताइसका भेद समझ में ना आताधरती से है इसका नातामगर हवा में किले बनाताअपनी उलझन आप बढाताहोता खुद हैरानखिलौना माटी कातूने खूब रचा...
प्रदीप - Pradeep
अपनी माँ की किस्मत पर मेरे बेटे तू मत रो – प्रदीप | Apni Maa Ki Kismat Par Mere Bete Tu Mat Ro –...
अपनी माँ की किस्मत पर मेरे बेटे तू मत रोमैं तो काँटों में जी लुंगी जा तू फूलों पर सोअपनी माँ की किस्मत पर...
तू ही मेरे दिन का सूरज तू मेरी रात का चंदाएक दिन तो देगा तू...
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Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
वसुधा का नेता कौन हुआ? (रश्मिरथी) – रामधारी सिंह “दिनकर” Vashudha Ka Neta Kaun Hua? (Rashmirathi) – Ramdhari Singh “Dinkar”
सच है, विपत्ति जब आती है,कायर को ही दहलाती है,शूरमा नहीं विचलित होते,क्षण एक नहीं धीरज खोते,विघ्नों को गले लगाते हैं,काँटों में राह बनाते...
Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
Shakti Aur Kshama – शक्ति और क्षमा | Ramdhari Singh “Dinkar”
https://www.youtube.com/watch?v=9vyYd1-lKI8
Shakti Aur Kshama Poem Explanation
In the "Shakti Aur Kshama" poem, Ramdhari Singh Dinkar shows his interpreting power and forgiveness. According to him, Pandavas had...
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
हो गई है पीर पर्वत-सी – दुष्यंत कुमार | Ho Gayi Hai Peer Parvat – Dushyant Kumar
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगीशर्त थी लेकिन कि ये...
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है – दुष्यंत कुमार | Iss Nadi Ki Dhaar Mein Thandi Hawa Aati Toh Hai...
इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।
एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,इस...
Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
हिमालय – रामधारी सिंह “दिनकर” | Himalaya – Ramdhari Singh “Dinkar”
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरूष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल!युग-युग अजेय, निर्बन्ध, मुक्त,युग-युग गर्वोन्नत,...
Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
Parichay – Ramdhari Singh “Dinkar” | परिचय – रामधारी सिंह “दिनकर”
परिचय कविता
Parichay Poem
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैंस्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैंबँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैंनहीं तो व्योम...
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