सर्वेश्वरदयाल सक्सेना - Sarveshwar Dayal Saxena
मुक्ति की आकांक्षा – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना | Mukti Ki Akanksha – Sarveshwar Dayal Saxena
चिड़िया को लाख समझाओकि पिंजड़े के बाहरधरती बहुत बड़ी है, निर्मम है,वहॉं हवा में उन्हेंअपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,पर पानी के लिए भटकना...
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सर्वेश्वरदयाल सक्सेना - Sarveshwar Dayal Saxena
मुक्ति की आकांक्षा – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना | Mukti Ki Akanksha – Sarveshwar Dayal Saxena
चिड़िया को लाख समझाओकि पिंजड़े के बाहरधरती बहुत बड़ी है, निर्मम है,वहॉं हवा में उन्हेंअपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,पर पानी के लिए भटकना है,यहॉं कटोरी में भरा जल...
शिवमंगल सिंह सुमन - ShivMangal Singh Suman
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | Toofanon Ki Or Ghuma Do Navik – Shivmangal Singh “Suman”
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
आज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
लहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड...
शिवमंगल सिंह सुमन - ShivMangal Singh Suman
चलना हमारा काम है – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | Chalna Humara Kaam Hai – Shivmangal Singh “Suman”
गति प्रबल पैरों में भरीफिर क्यों रहूं दर दर खडाजब आज मेरे सामनेहै रास्ता इतना पडाजब तक न मंजिल पा सकूँ,तब तक मुझे न विराम है,चलना हमारा काम है।
कुछ कह लिया, कुछ सुन लियाकुछ बोझ अपना बँट गयाअच्छा...
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
मापदण्ड बदलो – दुष्यंत कुमार | Maapdand Badlo – Dushyant Kumar
मेरी प्रगति या अगति कायह मापदण्ड बदलो तुम,जुए के पत्ते-सामैं अभी अनिश्चित हूँ ।मुझ पर हर ओर से चोटें पड़ रही हैं,कोपलें उग रही हैं,पत्तियाँ झड़ रही हैं,मैं नया बनने के लिए खराद पर चढ़ रहा हूँ,लड़ता हुआनई...
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
आग जलती रहे – दुष्यंत कुमार | Aag Jalti Rahe – Dushyant Kumar
एक तीखी आँच नेइस जन्म का हर पल छुआ,आता हुआ दिन छुआहाथों से गुजरता कल छुआहर बीज, अँकुआ, पेड़-पौधा,फूल-पत्ती, फल छुआजो मुझे छूने चलीहर उस हवा का आँचल छुआ... प्रहर कोई भी नहीं बीता अछूताआग के संपर्क सेदिवस,...
धर्मवीर भारती - Dharmveer Bharti
क्योंकि सपना है अभी भी – धर्मवीर भारती | Kyonki Sapna Hai Abhi Bhi – Dharmveer Bharti
...क्योंकि सपना है अभी भीइसलिए तलवार टूटी अश्व घायलकोहरे डूबी दिशाएंकौन दुश्मन, कौन अपने लोग, सब कुछ धुंध धूमिलकिन्तु कायम युद्ध का संकल्प है अपना अभी भी...क्योंकि सपना है अभी भी!
तोड़ कर अपने चतुर्दिक का छलावाजब कि घर...
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Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
Shakti Aur Kshama – शक्ति और क्षमा | Ramdhari Singh “Dinkar”
https://www.youtube.com/watch?v=9vyYd1-lKI8
Shakti Aur Kshama Poem Explanation
In the "Shakti Aur Kshama" poem, Ramdhari Singh Dinkar shows his interpreting power and forgiveness. According to him, Pandavas had...
Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
वसुधा का नेता कौन हुआ? (रश्मिरथी) – रामधारी सिंह “दिनकर” Vashudha Ka Neta Kaun Hua? (Rashmirathi) – Ramdhari Singh “Dinkar”
सच है, विपत्ति जब आती है,कायर को ही दहलाती है,शूरमा नहीं विचलित होते,क्षण एक नहीं धीरज खोते,विघ्नों को गले लगाते हैं,काँटों में राह बनाते...
Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
Parichay – Ramdhari Singh “Dinkar” | परिचय – रामधारी सिंह “दिनकर”
परिचय कविता
Parichay Poem
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैंस्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैंबँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैंनहीं तो व्योम...
Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”
हिमालय – रामधारी सिंह “दिनकर” | Himalaya – Ramdhari Singh “Dinkar”
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरूष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल!युग-युग अजेय, निर्बन्ध, मुक्त,युग-युग गर्वोन्नत,...
अटल बिहारी वाजपेयी - Atal Bihari Vajpayee
कदम मिलाकर चलना होगा – अटल बिहारी वाजपेयी | Kadam Milakar Chalna Hoga – Atal Bihari Vajpayee
https://www.youtube.com/watch?v=xI0Ir6ezskg
बाधाएँ आती है आएँ,घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,निज हाथों से हँसते–हँसते,आग लगा कर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना...
अटल बिहारी वाजपेयी - Atal Bihari Vajpayee
कवि आज सुना वह गान रे – अटल बिहारी वाजपेयी | Kavi Suna Wah Gaan Re – Atal Bihari Vajpayee
कवि आज सुना वह गान रे,जिससे खुल जाएँ अलस पलक।नस–नस में जीवन झंकृत हो,हो अंग–अंग में जोश झलक।
ये - बंधन चिरबंधनटूटें – फूटें प्रासाद...
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