• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Kavitayen - Poetry is Good for the Soul

Kavitayen

Poetry Is Good for the Soul!

  • About
  • रामधारी सिंह “दिनकर”
  • अटल बिहारी वाजपेयी
  • सुभद्राकुमारी चौहान
  • सम्पर्क करें

Kavitayen

अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन | Agnipath (Agneepath) – Harivansh Rai Bachchan

December 23, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

वृक्ष हों भले खड़ेहों घने, हों बड़ेएक पत्र छाँह भीमांग मत! मांग मत! मांग मत!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! तू न थकेगा कभीतू न थमेगा कभीतू न मुड़ेगा कभीकर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त सेलथ-पथ! लथ-पथ! लथ-पथ!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

Filed Under: Uncategorized

जन्‍मभूमि – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Janmbhoomi – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”

December 23, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

सुरसरि सी सरि है कहाँ मेरु सुमेर समान।जन्मभूमि सी भू नहीं भूमण्डल में आन।। प्रतिदिन पूजें भाव से चढ़ा भक्ति के फूल।नहीं जन्म भर हम सके जन्मभूमि को भूल।। पग सेवा है जननि की जनजीवन का सार।मिले राजपद भी रहे जन्मभूमि रज प्यार।। आजीवन उसको गिनें सकल अवनि सिंह मौर।जन्मभूमि जल जात के बने रहे […]

Filed Under: अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ - Ayodhya Singh Upadhyay "Hariaudh"

कर्मवीर – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Karamveer – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”

December 23, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहींरह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहींकाम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहींभीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहींहो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भलेसब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले। आज करना है जिसे करते उसे हैं आज […]

Filed Under: अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ - Ayodhya Singh Upadhyay "Hariaudh"

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है – दुष्यंत कुमार | Iss Nadi Ki Dhaar Mein Thandi Hawa Aati Toh Hai – Dushyant Kumar

December 22, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है। एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है। एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है। एक चादर साँझ ने सारे नगर […]

Filed Under: दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar

हो गई है पीर पर्वत – दुष्यंत कुमार | Ho Gayi Hai Peer Parvat – Dushyant Kumar

December 22, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगीशर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव मेंहाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहींमेरी कोशिश है कि […]

Filed Under: दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar

मधुशाला – हरिवंशराय बच्चन | Madhushala – Harivansh Rai Bachchan

December 22, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

मधुशाला / भाग १ / हरिवंशराय बच्चन मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,जीवन की मधुता तो […]

Filed Under: हरिवंशराय बच्चन - Harivansh Rai Bachchan

  • Go to page 1
  • Go to page 2
  • Go to page 3
  • Interim pages omitted …
  • Go to page 9
  • Go to Next Page »

Primary Sidebar

POETRY IS GOOD FOR THE SOUL!

Subscribe us now to get all the latest updates directly to your inbox.

Connect With Us

  • Email
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

Recent Posts

  • अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन | Agnipath (Agneepath) – Harivansh Rai Bachchan
  • जन्‍मभूमि – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Janmbhoomi – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”
  • कर्मवीर – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Karamveer – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”
  • इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है – दुष्यंत कुमार | Iss Nadi Ki Dhaar Mein Thandi Hawa Aati Toh Hai – Dushyant Kumar
  • हो गई है पीर पर्वत – दुष्यंत कुमार | Ho Gayi Hai Peer Parvat – Dushyant Kumar

Copyright © 2021 · Kavitayen . Designed & Developed with by SAATATYA