ऊधो जो अनेक मन होते – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Udho Jo Anek Mann Hote – Bharatendu Harishchandra
ऊधो जो अनेक मन होतेतो इक श्याम-सुन्दर को देते, इक लै जोग संजोते। एक सों सब गृह कारज करते, एक सों धरते ध्यान।एक सों श्याम रंग रंगते, तजि लोक लाज कुल कान। को जप …