बढ़े चलो, बढ़े चलो – सोहन लाल द्विवेदी | Badhe Chalo, Badhe Chalo – Sohan Lal Dwivedi
न हाथ एक शस्त्र हो,न हाथ एक अस्त्र हो,न अन्न वीर वस्त्र हो,हटो नहीं, डरो नहीं,बढ़े चलो, बढ़े चलो रहे समक्ष हिम-शिखर,तुम्हारा प्रण उठे निखर,भले ही जाए जन …
न हाथ एक शस्त्र हो,न हाथ एक अस्त्र हो,न अन्न वीर वस्त्र हो,हटो नहीं, डरो नहीं,बढ़े चलो, बढ़े चलो रहे समक्ष हिम-शिखर,तुम्हारा प्रण उठे निखर,भले ही जाए जन …
मोको कहां ढूढे रे बन्देमैं तो तेरे पास में ना तीर्थ मे ना मूर्त मेंना एकान्त निवास मेंना मंदिर में ना मस्जिद मेंना काबे कैलास में मैं तो तेरे पास में बन्देमैं …
हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाऍंगेकनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाऍंगे। हम बहता जल पीनेवालेमर जाऍंगे भूखे-प्यासेकहीं भली है कटुक निबोरीकनक-कटोरी …
मन समर्पित, तन समर्पितऔर यह जीवन समर्पितचाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ मॉं तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचनकिंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदनथाल में …
चाह नहीं मैं सुरबाला केगहनों में गूँथा जाऊँ चाह नहीं, प्रेमी-माला मेंबिंध प्यारी को ललचाऊँ चाह नहीं, सम्राटों के शवपर हे हरि, डाला जाऊँ चाह नहीं, देवों के सिर …
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।मन का विश्वास रगों …
हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभीआओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहांफैला मनोहर गिरि हिमालय, और …
ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलोकिसने कहा, युद्ध की बेला गई, शान्ति से बोलो?किसने कहा, और मत बेधो हृदय वह्नि के शर सेभरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, …
तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ?मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ?किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ? भू के मानचित्र पर …
इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी |जल कर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी ||यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की |अंतिम लीलास्थली यही है, …
कवि आज सुना वह गान रे,जिससे खुल जाएँ अलस पलक।नस–नस में जीवन झंकृत हो,हो अंग–अंग में जोश झलक। ये – बंधन चिरबंधनटूटें – फूटें प्रासाद गगनचुम्बीहम मिलकर हर्ष …
मैंने जन्म नहीं मांगा था,किन्तु मरण की मांग करुँगा। जाने कितनी बार जिया हूँ,जाने कितनी बार मरा हूँ।जन्म मरण के फेरे से मैं,इतना पहले नहीं डरा हूँ। अन्तहीन …
जीवन की ढलने लगी सांझउमर घट गईडगर कट गईजीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थशब्द हुए व्यर्थशान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ। सपनों में मीतबिखरा संगीतठिठक रहे पांव और …
ठन गई!मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था,मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो …
आओ फिर से दिया जलाएँभरी दुपहरी में अँधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ें-बुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य हुआ …
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को करने की सबने मन में …
हरी हरी दूब परओस की बूंदेअभी थी,अभी नहीं हैं|ऐसी खुशियाँजो हमेशा हमारा साथ देंकभी नहीं थी,कहीं नहीं हैं| क्काँयर की कोख सेफूटा बाल सूर्य,जब पूरब की गोद मेंपाँव …
पंद्रह अगस्त का दिन कहता:आज़ादी अभी अधूरी है।सपने सच होने बाकी है,रावी की शपथ न पूरी है॥ जिनकी लाशों पर पग धर करआज़ादी भारत में आई,वे अब तक हैं खानाबदोशग़म की …
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते,पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा। अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता,अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता।त्याग …
बाधाएँ आती है आएँ,घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,निज हाथों से हँसते–हँसते,आग लगा कर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। …
सूरज की किरणें आती हैं,सारी कलियाँ खिल जाती हैं,अंधकार सब खो जाता है,सब जग सुन्दर हो जाता है चिड़ियाँ गाती हैं मिलजुल कर,बहते हैं उनके मीठे स्वर,ठंडी-ठंडी हवा …
यह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत।स्वयं बिखरनेवाली इसकी, पँखड़ियाँ बिखराना मत॥गुज़रो अगर पास से इसके इसे चोट पहुँचाना मत।जीवन की अंतिम घड़ियों में, …
जब मैं आँगन में पहुँची,पूजा का थाल सजाए।शिवजी की तरह दिखे वे,बैठे थे ध्यान लगाए॥ जिन चरणों के पूजन कोयह हृदय विकल हो जाता।मैं समझ न पाई, वह भीहै किसका ध्यान …
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरेमैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वालीकिसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली …