जीवन-संगीत – रामधारी सिंह “दिनकर” | Jeewan-Sangeet – Ramdhari Singh “Dinkar”
कंचन थाल सजा सौरभ सेओ फूलों की रानी!अलसाई-सी चली कहो,करने किसकी अगवानी? वैभव का उन्माद, रूप कीयह कैसी नादानी!उषे! भूल जाना न ओस कीकारुणामयी कहानी। ज़रा देखना गगन-गर्भ मेंतारों का छिप जाना;कल जो खिले आज उन फूलोंका चुपके मुरझाना। रूप-राशि पर गर्व न करना,जीवन ही नश्वर है;छवि के इसी शुभ्र उपवन मेंसर्वनाश का घर है। …