POET: भारतेंदु हरिश्चंद्र - Bharatendu Harishchandra

बसंत होली – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Basant Holi – Bharatendu Harishchandra

जोर भयो तन काम को आयो प्रकट बसंत ।बाढ़यो तन में अति बिरह भो सब सुख को अंत ।।1।।चैन मिटायो नारि को मैन सैन...

दशरथ विलाप – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Dashrath Vilap – Bharatendu Harishchandra

कहाँ हौ ऐ हमारे राम प्यारे ।किधर तुम छोड़कर मुझको सिधारे ।।बुढ़ापे में ये दु:ख भी देखना था।इसी के देखने को मैं बचा था...

बन्दर सभा – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Bandar Sabha – Bharatendu Harishchandra

आना राजा बन्दर का बीच सभा के,सभा में दोस्तो बन्दर की आमद आमद है।गधे औ फूलों के अफसर जी आमद आमद है।मरे जो घोड़े...

इन दुखियन को न चैन सपनेहुं मिल्यौ – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Inn Dukhiyan Ko Na Chain Sapnehun Milyaun – Bharatendu Harishchandra

इन दुखियन को न चैन सपनेहुं मिल्यौ,तासों सदा व्याकुल बिकल अकुलायँगी।प्यारे 'हरिचंद जूं' की बीती जानि औध, प्रानचाहते चले पै ये तो संग ना...

धन्य ये मुनि वृन्दाबन बासी – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Dhanya Ye Muni Vrindavan Basi – Bharatendu Harishchandra

धन्य ये मुनि वृन्दाबन बासी।दरसन हेतु बिहंगम ह्वै रहे, मूरति मधुर उपासी।नव कोमल दल पल्लव द्रुम पै, मिलि बैठत हैं आई।नैनन मूँदि त्यागि कोलाहल,...

सखी री ठाढ़े नंदकिसोर – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Sakhi Ri Thade Nandkishor – Bharatendu Harishchandra

सखी री ठाढ़े नंदकिसोर।वृंदाबन में मेहा बरसत, निसि बीती भयो भोर।नील बसन हरि-तन राजत हैं, पीत स्वामिनी मोर।’हरीचंद’ बलि-बलि ब्रज-नारी, सब ब्रजजन-मनचोर॥

Subscribe to our newsletter

Stay updated with all the latest poetries.

- ADVERTISEMENT -