• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
Kavitayen - Poetry is Good for the Soul

Kavitayen

Poetry Is Good for the Soul!

  • About
  • रामधारी सिंह “दिनकर”
  • अटल बिहारी वाजपेयी
  • सुभद्राकुमारी चौहान
  • सम्पर्क करें

Featured

बसंत होली – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Basant Holi – Bharatendu Harishchandra

जोर भयो तन काम को आयो प्रकट बसंत ।बाढ़यो तन में अति बिरह भो सब सुख को अंत ।।1।।चैन मिटायो नारि को मैन सैन निज साज ।याद परी सुख देन की रैन कठिन भई आज ।।2।।परम सुहावन से भए सबै बिरिछ बन बाग ।तृबिध पवन लहरत चलत दहकावत उर आग ।।3।।कोहल अरु पपिहा गगन रटि…

Continue Reading बसंत होली – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Basant Holi – Bharatendu Harishchandra

दशरथ विलाप – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Dashrath Vilap – Bharatendu Harishchandra

कहाँ हौ ऐ हमारे राम प्यारे ।किधर तुम छोड़कर मुझको सिधारे ।।बुढ़ापे में ये दु:ख भी देखना था।इसी के देखने को मैं बचा था ।।छिपाई है कहाँ सुन्दर वो मूरत ।दिखा दो साँवली-सी मुझको सूरत ।।छिपे हो कौन-से परदे में बेटा ।निकल आवो कि अब मरता हु बुड्ढा ।।बुढ़ापे पर दया जो मेरे करते ।तो…

Continue Reading दशरथ विलाप – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Dashrath Vilap – Bharatendu Harishchandra

बन्दर सभा – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Bandar Sabha – Bharatendu Harishchandra

आना राजा बन्दर का बीच सभा के,सभा में दोस्तो बन्दर की आमद आमद है।गधे औ फूलों के अफसर जी आमद आमद है।मरे जो घोड़े तो गदहा य बादशाह बना।उसी मसीह के पैकर की आमद आमद है।व मोटा तन व थुँदला थुँदला मू व कुच्ची आँखव मोटे ओठ मुछन्दर की आमद आमद है ।।हैं खर्च खर्च…

Continue Reading बन्दर सभा – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Bandar Sabha – Bharatendu Harishchandra

इन दुखियन को न चैन सपनेहुं मिल्यौ – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Inn Dukhiyan Ko Na Chain Sapnehun Milyaun – Bharatendu Harishchandra

इन दुखियन को न चैन सपनेहुं मिल्यौ,तासों सदा व्याकुल बिकल अकुलायँगी।प्यारे ‘हरिचंद जूं’ की बीती जानि औध, प्रानचाहते चले पै ये तो संग ना समायँगी।देख्यो एक बारहू न नैन भरि तोहिं यातैं,जौन जौन लोक जैहैं तहाँ पछतायँगी।बिना प्रान प्यारे भए दरस तुम्हारे, हाय!मरेहू पै आंखे ये खुली ही रहि जायँगी।

Continue Reading इन दुखियन को न चैन सपनेहुं मिल्यौ – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Inn Dukhiyan Ko Na Chain Sapnehun Milyaun – Bharatendu Harishchandra

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

जन्‍मभूमि – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Janmbhoomi – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”

सुरसरि सी सरि है कहाँ मेरु सुमेर समान।जन्मभूमि सी भू नहीं भूमण्डल में आन।। प्रतिदिन पूजें भाव से चढ़ा भक्ति के फूल।नहीं जन्म भर हम सके जन्मभूमि को भूल।। पग सेवा है जननि की जनजीवन का सार।मिले राजपद भी रहे जन्मभूमि रज प्यार।। आजीवन उसको गिनें सकल अवनि सिंह मौर।जन्मभूमि जल जात के बने रहे…

Continue Reading जन्‍मभूमि – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Janmbhoomi – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”

Read More

अटल बिहारी वाजपेयी

कवि आज सुना वह गान रे – अटल बिहारी वाजपेयी | Kavi Suna Wah Gaan Re – Atal Bihari Vajpayee

कवि आज सुना वह गान रे,जिससे खुल जाएँ अलस पलक।नस–नस में जीवन झंकृत हो,हो अंग–अंग में जोश झलक। ये – बंधन चिरबंधनटूटें – फूटें प्रासाद गगनचुम्बीहम मिलकर हर्ष मना डालें,हूकें उर की मिट जाएँ सभी। यह भूख – भूख सत्यानाशीबुझ जाय उदर की जीवन में।हम वर्षों से रोते आएअब परिवर्तन हो जीवन में। क्रंदन –…

Continue Reading कवि आज सुना वह गान रे – अटल बिहारी वाजपेयी | Kavi Suna Wah Gaan Re – Atal Bihari Vajpayee

Read More

Copyright © 2021 · Kavitayen . Designed & Developed with by SAATATYA