जीवन की ढलने लगी साँझ – अटल बिहारी वाजपेयी | Jivan Ki Dhalne Lagi Sanjh – Atal Bihari Vajpayee by: अटल बिहारी वाजपेयी - Atal Bihari Vajpayee Advertisement जीवन की ढलने लगी सांझउमर घट गईडगर कट गईजीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थशब्द हुए व्यर्थशान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ। सपनों में मीतबिखरा संगीतठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।जीवन की ढलने लगी सांझ। Advertisement 5 1 vote Article Rating Related Poet: अटल बिहारी वाजपेयी - Atal Bihari VajpayeePrevious Post:मौत से ठन गई – अटल बिहारी वाजपेयी | Maut Se Than Gayi – Atal Bihari Vajpayee Next Post:मैंने जन्म नहीं मांगा था! – अटल बिहारी वाजपेयी | Maine Janm Nahi Manga Tha – Atal Bihari Vajpayee