POET: Uncategorized

आज हिमालय की चोटी से – प्रदीप | Aaj Himalay Ki Choti Se – Pradeep

आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा हैदूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है. जहाँ हमारा ताज-महल है और क़ुतब-मीनारा हैजहाँ हमारे...

दोनों ओर प्रेम पलता है – मैथिलीशरण गुप्त | Dono Aur Prem Palta Hai – Maithili Sharan Gupt

दोनों ओर प्रेम पलता है।सखि, पतंग भी जलता है हा!दीपक भी जलता है! सीस हिलाकर दीपक कहता--’बन्धु वृथा ही तू क्यों दहता?’पर पतंग पड़ कर...

हरि-सिर बाँकी बिराजै – भारतेंदु हरिश्चंद्र | Hari Sir Banki Birajay – Bharatendu Harishchandra

हरि-सिर बाँकी बिराजै।बाँको लाल जमुन तट ठाढ़ो बाँकी मुरली बाजै।बाँकी चपला चमकि रही नभ बाँको बादल गाजै।’हरीचंद’ राधा जू की छबि लखि रति मति...

अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन | Agnipath (Agneepath) – Harivansh Rai Bachchan

वृक्ष हों भले खड़ेहों घने, हों बड़ेएक पत्र छाँह भीमांग मत! मांग मत! मांग मत!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! तू न थकेगा कभीतू न थमेगा कभीतू न...

इन्साफ़ की डगर पे – प्रदीप | Insaf ki Dagar Pe – Pradeep

इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल केये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से...

Subscribe to our newsletter

Stay updated with all the latest poetries.

- ADVERTISEMENT -