POET: Sangh Geet

हो गये हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें – Ho Gaye Hai Swapna Sab Sakar

हो गये हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें हम।टल गया सर से व्यथा का भार कैसे मान लें हम। आ गया स्वातंत्र्य फिर भी...

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