हो गये हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें – Ho Gaye Hai Swapna Sab Sakar
हो गये हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें हम।टल गया सर से व्यथा का भार कैसे मान लें हम। आ गया स्वातंत्र्य फिर भी चेतना आने न पाई।प्रगति के ही नाम श्रध्दा और श्रम को दी विदाई।इस भयंकर मौज को पतवार कैसे मान लें हमहो गये हैं॥१॥ देश सारा घिर रहा है सैन्य के …