• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Kavitayen - Poetry is Good for the Soul

Kavitayen

Poetry Is Good for the Soul!

  • About
  • रामधारी सिंह “दिनकर”
  • अटल बिहारी वाजपेयी
  • सुभद्राकुमारी चौहान
  • सम्पर्क करें

Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

वसुधा का नेता कौन हुआ? (रश्मिरथी) – रामधारी सिंह “दिनकर” Vashudha Ka Neta Kaun Hua? (Rashmirathi) – Ramdhari Singh “Dinkar”

December 22, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

सच है, विपत्ति जब आती है,कायर को ही दहलाती है,शूरमा नहीं विचलित होते,क्षण एक नहीं धीरज खोते,विघ्नों को गले लगाते हैं,काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं,संकट का चरण न गहते हैं,जो आ पड़ता सब सहते हैं,उद्योग-निरत नित रहते हैं,शूलों का मूल नसाने को,बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को। है […]

Filed Under: Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद – रामधारी सिंह “दिनकर” | Raat Yo Kahne Laga Mujse Gagan ka Chaand – Ramdhari SIngh “Dinkar”

December 22, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,आदमी भी क्या अनोखा जीव है ।उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है । जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते ।और लाखों बार तुझ-से पागलों को भीचाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते। आदमी […]

Filed Under: Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है – रामधारी सिंह “दिनकर” | Sinhasan Khali Karo Ki Janta Aati Hai – Ramdhari Singh “Dinkar”

December 22, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी,मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,सिंहासन खाली करो कि जनता आती है । जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,जब अँग-अँग में लगे साँप हो चूस रहेतब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली । जनता ? हाँ, लम्बी-बडी […]

Filed Under: Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

विजयी के सदृश जियो रे – रामधारी सिंह दिनकर | Vijayi Ke Sadrish Jiyo Re – Ramdhari Singh Dinkar

November 8, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालोचट्टानों की छाती से दूध निकालोहै रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ोपीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रेयोगियों नहीं विजयी के सदृश जियो रे जब कुपित काल धीरता त्याग जलता हैचिनगी बन फूलों का पराग जलता हैसौन्दर्य बोध बन नयी आग जलता हैऊँचा उठकर […]

Filed Under: Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

आग की भीख – रामधारी सिंह दिनकर | Aag Ki Bheek – Ramdhari Singh Dinkar

November 8, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासाकुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसाकोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा हैमुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा हैदाता पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला देबुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला देप्यारे स्वदेश के हित अँगार माँगता हूँचढ़ती जवानियों का श्रृंगार मांगता हूँ बेचैन हैं हवाएँ, […]

Filed Under: Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

समर शेष है।- रामधारी सिंह दिनकर | Samar Shesh Hai – Ramdhari Singh Dinkar

November 4, 2020 by Kavitayen Leave a Comment

ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलोकिसने कहा, युद्ध की बेला गई, शान्ति से बोलो?किसने कहा, और मत बेधो हृदय वह्नि के शर सेभरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? कुंकुम? लेपूँ किसे? सुनाऊँ किसको कोमल गान?तड़प रहा आँखों के आगे भूखा हिन्दुस्तान। फूलों की रंगीन लहर पर ओ उतराने […]

Filed Under: Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

  • Go to page 1
  • Go to page 2
  • Go to page 3
  • Go to Next Page »

Primary Sidebar

POETRY IS GOOD FOR THE SOUL!

Subscribe us now to get all the latest updates directly to your inbox.

Connect With Us

  • Email
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

Recent Posts

  • अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन | Agnipath (Agneepath) – Harivansh Rai Bachchan
  • जन्‍मभूमि – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Janmbhoomi – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”
  • कर्मवीर – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Karamveer – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”
  • इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है – दुष्यंत कुमार | Iss Nadi Ki Dhaar Mein Thandi Hawa Aati Toh Hai – Dushyant Kumar
  • हो गई है पीर पर्वत – दुष्यंत कुमार | Ho Gayi Hai Peer Parvat – Dushyant Kumar

Copyright © 2021 · Kavitayen . Designed & Developed with by SAATATYA