श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्।नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरम्।पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक-सुतानरम्।। भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनम्।रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनम्।। सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम्।आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खर-दूषणम्।। इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन रंजनम्।मम् हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनम्।।
तुलसीदास - Tulsidas
बजरंग बाण – तुलसीदास | Bajrang Baan – Tulsidas
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान ।तेहिं के कारज सकल शुभ,सि़द्ध करें हनुमान ।। जय हनुमंत संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।जन के काज विलंब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।जैसे कूदि सिंधु महि पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहुं लात गई […]
श्री हनुमान चालीसा – तुलसीदास | Shri Hanuman Chalisa – Tulsidas
श्री गुरू चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि,बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥1॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार,बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार ॥2॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥3॥ राम दूत अतुलित बल धामा,अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥4॥ महावीर बिक्रम बजरंगी,कुमति निवार सुमति के […]