सुरसरि सी सरि है कहाँ मेरु सुमेर समान।जन्मभूमि सी भू नहीं भूमण्डल में आन।। प्रतिदिन पूजें भाव से चढ़ा भक्ति के फूल।नहीं जन्म भर हम सके जन्मभूमि को भूल।। पग सेवा है जननि की जनजीवन का सार।मिले राजपद भी रहे जन्मभूमि रज प्यार।। आजीवन उसको गिनें सकल अवनि सिंह मौर।जन्मभूमि जल जात के बने रहे […]
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ - Ayodhya Singh Upadhyay "Hariaudh"
कर्मवीर – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | Karamveer – Ayodhya Singh Upadhyay “Hariaudh”
देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहींरह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहींकाम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहींभीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहींहो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भलेसब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले। आज करना है जिसे करते उसे हैं आज […]