जीवन-संगीत – रामधारी सिंह “दिनकर” | Jeewan-Sangeet – Ramdhari Singh “Dinkar”
कंचन थाल सजा सौरभ सेओ फूलों की रानी!अलसाई-सी चली कहो,करने किसकी अगवानी? वैभव का उन्माद, रूप कीयह कैसी नादानी!उषे! भूल जाना न ओस कीकारुणामयी कहानी। ज़रा देखना …
कंचन थाल सजा सौरभ सेओ फूलों की रानी!अलसाई-सी चली कहो,करने किसकी अगवानी? वैभव का उन्माद, रूप कीयह कैसी नादानी!उषे! भूल जाना न ओस कीकारुणामयी कहानी। ज़रा देखना …
आज न उडु के नील-कुंज में स्वप्न खोजने जाऊँगी,आज चमेली में न चंद्र-किरणों से चित्र बनाऊँगी।अधरों में मुस्कान, न लाली बन कपोल में छाउँगी,कवि ! किस्मत पर भी न …
सात रंगों के दिवस, सातो सुरों की रात,साँझ रच दूँगा गुलावों से, जवा से प्रात। पाँव धरने के लिए पथ में मसृण, रंगीन,भोर का दूँगा बिछा हर रोज मेघ नवीन। कंठ में मोती …
सत्य का जिसके हृदय में प्यार हो,एक पथ, बलि के लिए तैयार हो । फूँक दे सोचे बिना संसार को,तोड़ दे मँझधार जा पतवार को । कुछ नई पैदा रगों में जाँ करे,कुछ अजब पैदा …
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरूष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल!युग-युग अजेय, …
भावों के आवेग प्रबलमचा रहे उर में हलचल। कहते, उर के बाँध तोड़स्वर-स्त्रोत्तों में बह-बह अनजान,तृण, तरु, लता, अनिल, जल-थल कोछा लेंगे हम बनकर गान। पर, हूँ विवश, …
परिचय कविता Parichay Poem सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैंस्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैंबँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैंनहीं तो व्योम का विस्तार हूँ मैं …