POET: Ramdhari Singh "Dinkar" | रामधारी सिंह “दिनकर”

कृष्ण की चेतावनी – रामधारी सिंह “दिनकर” |Krishna Ki Chetawani – Ramdhari Singh “Dinkar”

वर्षों तक वन में घूम-घूम,बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,पांडव आये कुछ और निखर।सौभाग्य न सब दिन सोता है,देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह...

वसुधा का नेता कौन हुआ? (रश्मिरथी) – रामधारी सिंह “दिनकर” Vashudha Ka Neta Kaun Hua? (Rashmirathi) – Ramdhari Singh “Dinkar”

सच है, विपत्ति जब आती है,कायर को ही दहलाती है,शूरमा नहीं विचलित होते,क्षण एक नहीं धीरज खोते,विघ्नों को गले लगाते हैं,काँटों में राह बनाते...

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद – रामधारी सिंह “दिनकर” | Raat Yo Kahne Laga Mujse Gagan ka Chaand – Ramdhari SIngh...

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,आदमी भी क्या अनोखा जीव है ।उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,और फिर बेचैन हो जगता, न...

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है – रामधारी सिंह “दिनकर” | Sinhasan Khali Karo Ki Janta Aati Hai – Ramdhari Singh “Dinkar”

सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी,मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,सिंहासन खाली करो कि जनता आती...

विजयी के सदृश जियो रे – रामधारी सिंह दिनकर | Vijayi Ke Sadrish Jiyo Re – Ramdhari Singh Dinkar

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालोचट्टानों की छाती से दूध निकालोहै रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ोपीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो चढ़ तुंग शैल शिखरों...

आग की भीख – रामधारी सिंह दिनकर | Aag Ki Bheek – Ramdhari Singh Dinkar

धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासाकुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसाकोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा हैमुंह को छिपा तिमिर में...

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