POET: दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
मापदण्ड बदलो – दुष्यंत कुमार | Maapdand Badlo – Dushyant Kumar
मेरी प्रगति या अगति कायह मापदण्ड बदलो तुम,जुए के पत्ते-सामैं अभी अनिश्चित हूँ ।मुझ पर हर ओर से चोटें पड़ रही हैं,कोपलें उग रही...
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
आग जलती रहे – दुष्यंत कुमार | Aag Jalti Rahe – Dushyant Kumar
एक तीखी आँच नेइस जन्म का हर पल छुआ,आता हुआ दिन छुआहाथों से गुजरता कल छुआहर बीज, अँकुआ, पेड़-पौधा,फूल-पत्ती, फल छुआजो मुझे छूने चलीहर...
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है – दुष्यंत कुमार | Iss Nadi Ki Dhaar Mein Thandi Hawa Aati Toh Hai...
इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।
एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,इस...
दुष्यंत कुमार - Dushyant Kumar
हो गई है पीर पर्वत-सी – दुष्यंत कुमार | Ho Gayi Hai Peer Parvat Si – Dushyant Kumar
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगीशर्त थी लेकिन कि ये...
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