कवि आज सुना वह गान रे,जिससे खुल जाएँ अलस पलक।नस–नस में जीवन झंकृत हो,हो अंग–अंग में जोश झलक। ये – बंधन चिरबंधनटूटें – फूटें प्रासाद गगनचुम्बीहम मिलकर हर्ष मना डालें,हूकें उर की मिट जाएँ सभी। यह भूख – भूख सत्यानाशीबुझ जाय उदर की जीवन में।हम वर्षों से रोते आएअब परिवर्तन हो जीवन में। क्रंदन – […]
अटल बिहारी वाजपेयी - Atal Bihari Vajpayee
मैंने जन्म नहीं मांगा था! – अटल बिहारी वाजपेयी | Maine Janm Nahi Manga Tha – Atal Bihari Vajpayee
मैंने जन्म नहीं मांगा था,किन्तु मरण की मांग करुँगा। जाने कितनी बार जिया हूँ,जाने कितनी बार मरा हूँ।जन्म मरण के फेरे से मैं,इतना पहले नहीं डरा हूँ। अन्तहीन अंधियार ज्योति की,कब तक और तलाश करूँगा।मैंने जन्म नहीं माँगा था,किन्तु मरण की मांग करूँगा। बचपन, यौवन और बुढ़ापा,कुछ दशकों में ख़त्म कहानी।फिर-फिर जीना, फिर-फिर मरना,यह मजबूरी […]
जीवन की ढलने लगी साँझ – अटल बिहारी वाजपेयी | Jivan Ki Dhalne Lagi Sanjh – Atal Bihari Vajpayee
जीवन की ढलने लगी सांझउमर घट गईडगर कट गईजीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थशब्द हुए व्यर्थशान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ। सपनों में मीतबिखरा संगीतठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।जीवन की ढलने लगी सांझ।
मौत से ठन गई – अटल बिहारी वाजपेयी | Maut Se Dhan Gayi – Atal Bihari Vajpayee
ठन गई!मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था,मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,लौटकर आऊँगा, कूच से […]
आओ फिर से दिया जलाएँ – अटल बिहारी वाजपेयी | Aao Fir Se Diya Jalaye – Atal Bihari Vajpayee
आओ फिर से दिया जलाएँभरी दुपहरी में अँधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ें-बुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य हुआ आँखों से ओझलवर्त्तमान के मोहजाल में-आने वाला कल न भुलाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ। आहुति बाकी यज्ञ अधूराअपनों के विघ्नों ने घेराअंतिम जय का वज़्र बनाने-नव दधीचि हड्डियाँ […]
हरी हरी दूब पर – अटल बिहारी वाजपेयी | Hari-Hari Doob Par – Atal Bihari Vajpayee
हरी हरी दूब परओस की बूंदेअभी थी,अभी नहीं हैं|ऐसी खुशियाँजो हमेशा हमारा साथ देंकभी नहीं थी,कहीं नहीं हैं| क्काँयर की कोख सेफूटा बाल सूर्य,जब पूरब की गोद मेंपाँव फैलाने लगा,तो मेरी बगीची कापत्ता-पत्ता जगमगाने लगा,मैं उगते सूर्य को नमस्कार करूँया उसके ताप से भाप बनी,ओस की बुँदों को ढूंढूँ? सूर्य एक सत्य हैजिसे झुठलाया नहीं […]