Home Poets अटल बिहारी वाजपेयी - Atal Bihari Vajpayee कदम मिलाकर चलना होगा – अटल बिहारी वाजपेयी | Kadam Milakar Chalna...

कदम मिलाकर चलना होगा – अटल बिहारी वाजपेयी | Kadam Milakar Chalna Hoga – Atal Bihari Vajpayee

0
138

बाधाएँ आती है आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों से हँसते–हँसते,
आग लगा कर जलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

हास्य–रूदन में, तूफानों में,
अमर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना हागा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

उजीयारे में, अंधकार में
कल कछार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत–शत आकर्षक,
अरमानों को दलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ,
प्रगति चिरन्तन कैसा इति अथ,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न माँगते,
पावस बनकर ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

कुश काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुवन,
पर–हित अर्पित अपना तन–मन,
जीवन को शत–शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here